गौतमबुद्ध नगर के स्वतंत्रता सैनानी छोंकरजादों ठाकुर लीला सिंह जी---
ठाकुर लीला सिंह भारत के स्वतंत्रता संग्राम के उन सैनिकों में से थे, जिन्होंने देश की आजादी के लिए अनवरत संघर्ष किया। इसलिए उनका नाम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अमर सपूतों में गिना जाता है। आप गाँधी युगीन देशभक्त एवं स्वतंत्रता प्रेमी भारत माता के वीर सैनिक थे।आप में बचपन से ही स्वतंत्रता का अलख जगाने का जज्बा था जो बाद में आप ने करके दिखाया ।
जन्म एवं पारिवारिक प्रष्ठभूमि---
ठाकुर लीला सिंह का जन्म बुलन्दशहर जिले तत्कालीन गौतमबुद्ध नगर जनपद के रन्हेरा ग्राम में सन् 1917 के लगभग छोंकर जादों राजपूत परिवार में ठाकुर लखपत सिंह के यहां हुआ था। उनका बचपन बहुत ही कठिनाइयों से भरा था। आय का साधन घर की खेतीबाड़ी ही थी। इनके दो बड़े भाई खेती करते थे। पिता बचपन में ही स्वर्ग सिधार गये।
सेना में देश सेवा--
ठाकुर लीला सिंह सन् 1934 में वे सेना में भर्ती हो गए। द्वितीय विश्व युद्ध (1939-45) में उन्हें जापानियों ने वर्मा में गिरफ्तार कर लिया था। कई वर्षों तक वे कैद में रहे। तब तक उनका संपर्क अपने सगे-संबंधियों से कटा रहा, जिससे उनके परिवार वालों को उनके जीवित न होने का अंदेशा हुआ।
नेताजी की आजाद हिन्द फौज के सैनिक--
इसी समय सन् 1943 में वे देश के स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नायक सुभाष चन्द्र बोस की 'आजाद हिन्द फौज के सदस्य बने और अंग्रेजों को हराने के लिए जापानी सेना के साथ मिलकर भारत की ओर कूच किया। वह उनका राष्ट्र प्रेम ही था, जो उन्होंने पराधीन देश को स्वाधीन कराने का स्वप्न देखा और उसे व्यवहार में क्रियान्वित भी किया।
सन् 1944-45 के दौरान लड़ाई में जापान हार गया। इसके साथ ही आजाद हिन्द फौज को भी पराजय का सामना करना पड़ा। अतः मजबूरी में आत्मसमर्पण की स्थिति आने पर ठाकुर लीला सिंह भी अंग्रेजों द्वारा गिरफ्तार कर लिए गए। जब आई.एन.ए. के कुछ अफसरों पर राजद्रोह का मुकदमा चलाया गया तथा सैनिक अदालत ने उन्हें मृत्यु दण्ड सुनाया तो प्रबल जन-विरोध देखते हुए ब्रिटिश सरकार को अदालत के फैसले के विरुद्ध जाकर भी, आजाद हिन्द फौज के अधिकारियों को मुक्त कर देना पड़ा। इस प्रकार आजाद हिन्द फौज के अन्य सदस्यों के साथ ठाकुर लीला सिंह भी जेल से छूटकर आ गये। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद इन्होंने गांव में रहकर फिर से खेती का कार्य संभाला।
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस में अपार श्रद्धा--
ठा. लीला सिंह की अपने नेता सुभाष चन्द्र बोस में अपार श्रद्धा थी। आप बहुत ही संयमी, कर्मशील व सिद्धांतवादी थे। आपका ईश्वर में पक्का विश्वास था। आपका पूरा जीवन सात्विक व संघर्षमय रहा।
देहान्त --
देशभक्त एवं स्वतंत्रता प्रेमी ठाकुर लीला सिंघह की मृत्यु करीब 75 वर्ष की आयु में 19 नवम्बर, 1992 को उनके पैतृक गांव रनहेरा, जिला बुलन्दशहर नवसृजित जिला गौतमबुद्ध नगर, उत्तर प्रदेश में हुई।उनकी पुण्य तिथि पर आज भी उनके परिवारी जन उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। रन्हेरा गांव उनकी पुण्य स्मृति पर उनका आदमकद चित्र भी निर्माण करा रहा है।
लेखक आभारी है बड़े भाई ठाकुर श्री नेपाल सिंह जी का जो ठाकुर लीला सिंह जी के पुत्र हैं जिनके सहयोग से यह लेख ठाकुर लीला सिंह की स्मृति में मुझे लिखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
लेखक-डा0 धीरेन्द्र सिंह जादौन
गांव -लढोता , तहसील -सासनी
जनपद- हाथरस, उत्तर प्रदेश ।
एसोसिएट प्रोफेसर कृषि मृदा विज्ञान
शहीद कैप्टन रिपुदमन सिंह राजकीय महाविद्यालय ,सवाईमाधोपुर ,राजस्थान ।
No comments:
Post a Comment