Sunday, 25 July 2021

अलीगढ़ जनपद में अकराबाद के अमर शहीद ठाकुर मंगल सिंह एवं महताब सिंह के बलिदान की गौरव गाथा ---

 

इनकी भी याद करो कुर्वानी--अलीगढ़ जनपदीय अकराबाद के अमर शहीद ठाकुर मंगल सिंह एवं महताब सिंह के बलिदान की गौरवगाथा ---

सन 1857 क्रान्ति के प्रारम्भ काल से ही सिकन्दराराऊ ,अतरौली ,अकराबाद ,हरदुआगंज आदि के क्षेत्रों में क्रांति का विस्तार हो गया था।सिकन्दराराऊ , अतरौली और अकराबाद की तहसीलों को क्रान्तिकारियों ने नष्ट -भ्रष्ट कर दिया था ।सिकन्दराऊ के अकराबाद क्षेत्र के पुंडीर राजपूतों के एक दल ने 1857 के स्वाधीनता संग्राम में अहम भूमिका अदा की थी जिनमें अकराबाद के पुंडीर राजपूत नारायन सिंह के दो पुत्र  मंगलसिंह और महताब सिंह ने स्वतंत्रता संग्राम के लिए कान्तिकारियों का एक शक्तिशाली संगठन बना लिया था । इनके साथ में  मदापुर के मंगलसेन और खेरा के सीताराम सिंह भी रहे थे।अतरौली से  बडगुजर राजपूतों ने विदेशी सत्ता को मिटा दिया था।यहां के कान्तिकारियों ने विदेशीसत्ता के ज्वाइन्ट मजिस्टेट मुहम्मदअली को तहसील के फाटक पर मार डाला था।
6 अक्टूबर सन 1857 को अकराबाद में क्रांतिकारियों और अंग्रेज सेनापति ग्रीथेड़ की विदेशी सेना के बीच रूह को कंपाने वाला अंतिम खूनी संघर्ष हुआ।अकराबाद की ओर बढ़ती हुई विदेशी सेना को रोकने के प्रयत्न में लगभग 250 क्रांतिकारी शहीद हुए क्यों कि ये कर्नल ग्रीथेड़ द्वारा भेजे हुए मेजर ओवरी द्वारा मारे गए थे।
अकराबाद पहुंच कर अंग्रेजों ने वहां के प्रमुख क्रान्तिकारी नेता दो सगे भाई मंगल सिंह और महताब सिंह को फांसी पर लटका दिया गया।साथ ही अनेक देशभक्तों को फाँसी दी गयी।अकराबाद में उनकी गढ़ी को अंग्रेजों ने ध्वस्त कर दिया ।इन दोनों भाइयों ने अपने क्षेत्रीय साथियों के साथ अंग्रेजी सेना के साथ खूनी से संघर्ष किया और अंग्रेजो को विजयगढ़ किले की ओर जाने से रोक कर घमासान युद्ध करके वीरता एवं देशभक्ति का परिचय दिया। अकराबाद के शहीदों के स्वजातीय एवं विदेशी शासन भक्त तेजसिंह और जवाहर सिंह ने इस स्वतंत्रता संग्राम में देशद्रोहिता का भी परिचय दिया ।स्वाधीनता के पवित्र यज्ञ में इन्होंने अपनी कुछ पुंडीर राजपूतों को भी भाग लेने से रोका था। महताब सिंह और मंगल सिंह की फांसी के बाद , अक्टूबर 9 , 1857 को ग्रीथेड़ की सेना ने विजयगढ़ में प्रवेश किया और वहां के देशभक्तों का दमन किया ।
अकराबाद के इन दोनों अमर शहीदों की दो छतरियाँ आज भी देशभक्तों के ह्रदयों को स्पंदित कर देती हैं कि यही उन देश भक्तों के स्मारक हैं , जिन्होंने विदेशी दसता के युग में वीर राजपूतों के नाम को सार्थक करने के लिए विदेशी शासकों के विरुद्ध उठ खड़े होने का संकल्प किया था ।इन्होंने क्रान्ति में सक्रिय भाग लिया और अपने इलाके में क्रांतिकारियों का क्षत्रिय परम्परा के अनुसार नेतृत्व किया।विदेशी सत्ता के प्रतीक अकराबाद तहसील के खजाने को लूट वाने में इन्होंने प्रमुख भाग लिया ।वहां के सभी कागजात अग्नि को भेंट कर दिए गए।उत्तरी -पश्चिमी प्रान्त के चीफ कमिश्नर एच0 फ्रेजर के पत्र से जो उसने 31 अक्टूबर सन 1857 को गवर्नर जनरल को लिखा था , यह प्रकट होता है कि अकराबाद के इन दोनों क्रांतिकारी देशभक्तों को नष्ट करने के लिए 2000 सैनिक तैनात किए गए थे।कर्नल ग्रीथेड़ की सेना ने अक्टूबर माह में जब अकराबाद पर आक्रमण किया ।उस समय ये दोनों भाई पकड़े गए और इन्हें फांसी पर लटका दिया गया ।इनकी गढ़ी को ध्वस्त कर दिया गया ।आज इन राजपूत वीरों की अकराबाद में गढ़ी के खंडहर इनकी गौरवगाथा सुनाते हुए प्रतीत होते हैं ।
नाई गांव के ठाकुर कुन्दन सिंह पुंडीर ने 1857 के अकराबाद के क्रांतिकारियों के विरुद्ध अंग्रेजों की मदद की थी जिसके पुरस्कार में उनको नाई के अतिरिक्त दो गावों की जमींदारी भी अंग्रेज सरकार द्वारा प्रदान की गई और उनको  बाद में अंग्रेजी सरकार की मदद की एवज में सिकन्दराराऊ का नाजिम बनाया गया ।इन्होंने देशद्रोहिता का परिचय दिया ।ये अकराबाद क्षेत्र के प्रभावशाली व्यक्ति थे जिनका प्रभाव क्षेत्र के लोगों पर अधिक था ।
अन्त में स्वतंत्रता के इन अमर शहीदों को सत-सत नमन करता हूँ और अकराबाद क्षेत्र के राजपूत भाइयों से आग्रह भी करता हूँ के वे अकराबाद में इन देशभक्त बलिदानी भारत माता के सपूतों की स्मृति में इनकी पुण्यतिथि 6 अक्टूबर को जरूर श्राद्ध सुमन अर्पित करके स्मरण करें।जय हिन्द ।जय राजपुताना।।

संदर्भ --

1-Aligarh :A gazetted of the district gazetteers of United Provinces of Agra &Qudh ,Bill .4 , by H.R.Nevill , 1909.
2-Aligarh District :A Historical Survey ,Aligarh ,Chap.VII , p.173-189.by J.M.Siddiqi .
3-Statistical ,descriptive and historical account of the north -western Provinces of India ,Meerut division pt.I ,1874. Allahabad ,Bill.II.
4-J.Thorton , Report upon .The settlement of pergunnah Moordhany .Zillah Allyaarh ,Vide Allygurh ,Statics.pp.236 ,noted in Aligarh district.
5-Indian Journal of Archaeology , Voll 2 ,No .4 ,2017 . Archaeological Gazetteer of Aligarh and Hathras districts with special reference to OCP and other Proti-Historic cultures of Indo-Gangetic plains by Editor Chief Vijay Kumar.
6-Smith W.H.settlement Report . 345 Aligarh district .Allahabad.
7-Statistical , description and Historical account of the North-western Provinces of India .Vol .3 Edited by Alkinson ,Edwin Thomas.
8-aligarh janpad ka Itihas author Prof.Chintamani Shula.

लेखक -डॉ0 धीरेन्द्र सिंह जादौन
गांव-लाढोता ,सासनी
जिला-हाथरस ,उत्तरप्रदेश
एसोसिएट प्रोफेसर ,कृषि मृदा विज्ञान
शहीद कैप्टन रिपुदमन सिंह राजकीय महाविद्यालय ,सवाईमाधोपुर ,राज

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