अलीगढ़ जनपदीय स्वतन्त्रता संग्राम सैनानी एवं जनपद के प्रथम विधायक ठाकुर नेत्रपाल सिंह --
जन्मस्थान एवं शिक्षा--
अलीगढ़ जिले के समस्त गांवों में सबसे अधिक स्वतंत्रता सैनानी पैदा करने का गौरव जादों राजपूतों के गांव पालीरजापुर को प्राप्त है।इससे यह बात भी सिद्ध होती है कि उस समय पालीरजापुर शिक्षा के क्षेत्र में काफी अग्रणी था।पुराने बुजर्गों के द्वारा भी हम सुनते आये है कि अलीगढ़ जिले में जादों ठाकुरों में पालीरजापुर काफी विकसित एवं शिक्षित गांव रहा है ।मैं ऐसी वीर प्रसूता भूमि को सादर नमन करता हूँ जिसमें ठाकुर नेत्रपाल सिंह जी जैसे कई स्वतंत्रता प्रेमी पैदा किये हैं ।यह गांव अलीगढ़ से 15 किलोमीटर दूर मडराक रेलवे स्टेशन के पास स्थति हैं।इस गांव के जादों ठाकुर परिवार में श्री छत्रपाल सिंह जी उर्फ छीतर सिंह के गृह में 5सितम्बर सन 1912 को श्री नेत्रपाल सिंह जी का जन्म हुआ। आप ने हाई स्कूल तक कि शिक्षा अपने पिता के संरक्षण में घर पर ही प्राप्त की थी।यह परीक्षा आप ने डी0 ए0 बी0 स्कूल अलीगढ़ से व्यक्तिगत छात्र के रूप में पास की थी।आगे की शिक्षा के लिए मथुरा चले गए।प्रेम महाविद्याल से शिक्षा प्राप्त कर एक समृद्ध एवं सुखी परिवार में पल्लवित ठाकुर नेत्रपाल सिंह ने देश सेवा के दुर्गम मार्ग का चयन किया।जीवन की प्रारम्भिक अवस्था में ये क्रांतिकारी विचारधारा के व्यक्ति थे।अतः राष्ट्रीय जोश के साथ ही इन्होंने सन 1928 में मथुरा में साइमन कमीशन के बहिष्कार में भाग लिया और मथुरा स्टेशन पर काले झंडे दिखाकर विरोध किया ।अंग्रेज अधिकारियों ने इनको कोड़ों से पीटा ।इस व्यवहार से इनके अन्दर धधक रही देशभक्ति की ज्वाला ने विकराल रूप धारण कर लिया।इस घटना के साथ ही इनके राजनीतिक जीवन का प्रारम्भ हुआ।
कलकत्ता अधिवेशन में भाग लिया --
ठाकुर नेत्रपाल सिंह कांग्रेस के आव्हान पर कलकत्ता अधिवेशन में पहुंचने को लालायित थे किंतु अंग्रेज सरकार ने इस अधिवेशन को प्रतिबन्धित कर दिया था।स्थान -स्थान पर गिरफ्तारियां हो रही थी , लेकिन ठाकुर साहब अंग्रेजों की आंखों में धूल झौंकते हुए बहुत कठिनाइयों का सामना करते हुए अधिवेशन की निर्धारित तिथि से 3 दिन पूर्व ही कलकत्ता पहुंचने में सफल हो गए।वहां जगह -जगह छापे मारे जारहे थे फिर भी भेष बदल कर बचने में सफल रहे और अधिवेशन के दिन आयोजित स्थल कलकत्ता परेड ग्राउंड पर अपने अनेक साथियों सहित पहुंच गए।किसी प्रकार अधिवेशन में पढ़े जाने वाले प्रस्ताव पत्र की एक प्रति इन्हें भी प्राप्त हो गयी ।उस प्रस्ताव पत्र को लेकर मंच पर चढ़ गए और जोर -जोर से पढ़ने लगे ।इस साहसिक कदम से अंग्रेज पुलिस सकते में आ गयी और क्रोध में आकर इन्हें बेरहमी से पीटा और मरा हुआ समझ कर इन्हें छोड़ दिया गया।बाद में इन्हें बन्दी बनाया और कलकत्ता की अलीपुर जेल में बंधक बनाकर डाल दिया गया।
नमक सत्याग्रह के अवसर पर ये सत्याग्रहियों की टोली लेकर डांडी भी पहुंचे थे।
जेल की यातनाएं एवं जुर्माने --
सन 1932 के स्वतंत्रता संग्राम में इन्हें 6 माह की कठोर जेल और 10 रुपये का जुर्माने का दण्ड मिला।व्यक्तिगत सत्याग्रह के दौरान सन 1941 में इन्होंने 1 वर्ष की कड़ी कैद और 50 रुपये जुर्माने की सजा पायी थी।सन 1942 में विदेशी सरकार ने इन्हें नज़रबन्द रखा था ।इनकी वीर पत्नी ने बच्चों के साथ जेल यात्रा भी की थी।
खादी के प्रचारक --
जेल से छूटे तो इनका स्वास्थ्य बहुत खराब था।कांग्रेस ने इन्हें स्वास्थ्य लाभ और खादी के प्रचार के लिए देहरादून भेज दिया गया।वहां पर खादी आश्रम के प्रचारक बनकर जगह -जगह खादी बेचते थे ।
राजनैतिक जीवन -
ये वर्षों उत्तर प्रदेश कांग्रेस के सदस्य रहे।कोल तहसील कांग्रेस के मंत्री भी रहे।इन्होंने अलीगढ़ जिला किसान सभा में प्रधान और मन्त्री के रूप काफी समय तक कार्य किया।उत्तर प्रदेश आर्य प्रतिनिधि सभा के भी ये मंत्री और उपमन्त्री रहे। स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी संगठन के अध्यक्ष रहे।जिला हरिजन सेवक संघ के (अध्यक्ष )पदाधिकारी रहे ।अपनी लोकप्रियता के कारण ये जिला परिषद के सदस्य भी निर्वाचित हुए।विधान सभा के भी सदस्य रहे।
ठाकुर नेत्रपाल सिंह जी को अलीगढ़ जनपद की तत्कालीन राजनीति में पितामह के नाम से भी जाना जाता था।इन्होंने गांधी जी के सभी आंदोलनों में महत्वपूर्ण एवं सक्रिय भूमिका का निर्वहन किया था।आप स्वतंत्र भारत के प्रथम आएम चुनावों में वे अलीगढ़ जनपद की तत्कालीन विधानसभा क्षेत्र से आश्चर्यजनक बहुमत से विजयी हुए थे।इस लिए आप को अलीगढ़ जनपद का प्रथम विधायक भी कहा जाता है।आप 1952 से 57 तक विधायक रहे ,उस समय सिकन्दराराऊ , कोल तथा अतरौली को मिलाकर एक ही विधानसभा क्षेत्र हुआ करता था।
भूदान आंदोलन में आचार्य विनोबा भावे जी के साथ सहयोग --
आचार्य विनोवाभावे जी के भूदान आंदोलन से आकर्षित होकर केवल अपना भू-भाग ही दान में नहीं दिया वरन सर्वोदय सेवा आश्रम की भी स्थापना की। खादी जगत के प्रचार -प्रसार के लिए आप आजीवन संघर्षशील रहे ।आप सदैव खादी का प्रयोग करते थे।आपका शिक्षा से बहुत लगाव था इस लिए आपने क्षत्रिय होते हुए भी अग्रसेन इंटरमीडिएट कालेज हरदुआगंज को 100 बीघा जमीन दान में दी थी तथा 200 बीघा जमीन भूदान आंदोलन में आचार्य विनोबा भावे जी को दान में दी थी ।इस तरह आप ने अनेकों सामाजिक संस्थाओं को कुल 800 बीघा जमीन दान में दी थी।इस प्रकार ठाकुर साहब ने विभिन्न क्षेत्रों में देश सेवा का कार्य किया।
स्वतंत्रता सैनानी , रचनात्मक एवं सामाजिक सुधार के अग्रिम कार्य कर्ता के रूप में इन्होंने अलीगढ़ जनपद में प्रशंसनीय कार्य किये।गांधीवाद का प्रभाव इनके जीवन में पूर्णतः प्रतिलक्षित हुआ।गाँधीदर्शन ही इनकी जीवनधारा का मार्गदर्शक रहा।ये स्वभाव में बड़े सरल ,मृदुभाषी और मिलनसार रहे।उच्च पद ने इनको कभी पथ भ्रष्ट नहीं किया ।कांग्रेस संस्था की त्यागमय वेदी से ये जीवन के बसन्त में आकर्षित हुए और उसके झंडे के नीचे ही इनके त्यागमय जीवन की पृष्ठिभूमि तैयार हुई।
आप ने कनाडा सरकार के सहयोग से आस-पास के क्षेत्रों में नेत्र चिकित्सालय का काम किया ।जिला अस्पताल में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आरोग्य कर्ता का निर्माण कराया।
आप की सेवाएं आज भी प्रासंगिक हैं ।आप का नाम आपके राष्ट्रभक्ति एवं सामाजिक समरसतापूर्ण कार्यों की बजह से अमर रहेगा और आपका मार्ग युवाओं एवं बुद्धिजीवियों के लिए प्रेरणादायक रहेगा ।
स्वतन्त्रता सैनानी वीर प्रसुताभूमि पालीरजापुर गांव --
ठाकुर नेत्रपाल सिंह जी का पैतृक गांव पालीरजापुर 1932 से लेकर देश स्वतंत्र होने तक स्वतंत्रता के अमर सैनानियों की शरणस्थली भी रहा है ।सन 1932से लेकर 1942तक इस गांव की वीर प्रसूताभूमि को लगभग 15 स्वतन्त्रता सैनानी क्षत्रिय एवं क्षत्राणी पैदा करने का गौरव भी प्राप्त है जिन्होंने देशभक्ति की एक मिसाल दी है।मुझे इस गांव की मांटी पर गर्व है।इस गांव में ठाकुर नेत्रपाल सिंह जी के समकालीन अन्य क्षत्रिय वीरों एवं वीरांगनाओं ने भी स्वाधीनता संग्राम में भाग लिया और जेल की यातनाएं भी सहीं जिनके नाम निम्न हैं।
1-ठाकुर गजाधर सिंह जी पुत्र ठाकुर करन सिंह सन1932 में 1 माह जेल में रहे।
2-ठा0 चुन्नी सिंह पुत्र ठा0 बलवन्त सिंह 1932 में 6माह की जेल एवं 15 रुपये जुर्माना।
3-ठा0 छत्तर पाल सिंह पुत्र ठा0 बन्शी सिंह ,1932 में 3माह की जेल एवं 10 रुपये जुर्माना।
4-ठा0 टीकम सिंह पुत्र ठा0 कल्याण सिंह 1930 में 1वर्ष की जेल एवं 50 रुपये जुर्माना।
5-ठा0 टीकाराम सिंह पुत्र ठा0 गुलाब सिंह ,1932 में 3माह की जेल 10 रुपये जुर्माना।
6-श्रीमती तोफादेवी पत्नी ठा0 मुरली सिंह 1941, 3 माह की जेल।
7-ठा0 नेत्रपाल सिंह 1932 में 6माह जेल ,
8-ठा0 महावीर सिंह पुत्र डम्बर सिंह 1932 में3 माह की जेल ,10 रुपये जुर्माना।
9-ठा0 प्रेम सिंह पुत्र ठा0करन सिंह 1932 में 3 माह जेल ,50 रुपये जुर्माना।
10-ठा0 बहोरी सिंह पुत्र ठाकुरदास ,1932 में 3माह जेल ,10 रुपये जुर्माना ।
11-भूरे सिंह पुत्र ठा0 ठाकुरदास ,1932 में 3 माह जेल 10 रुपये जुर्माना।
12-ठा 0सोहनपाल सिंह पुत्र रूपराम सिंह 1932 में 3माह जेल ,25 रुपये जुर्माना
13 -ठा0 राम सिंह पुत्र करन सिंह 1942 में 6माह जेल
स्वतंत्रता के इन अमर पुरोधाओं को मैं सत-सत नमन करता हूँ।जय हिन्द।जय राजपूताना ।।
लेखक -डॉ0 धीरेन्द्र सिंह जादौन
गांव-लाढोता ,सासनी
जिला-हाथरस ,उत्तरप्रपदेश
एसोसिएट प्रोफेसर ,कृषि मृदा विज्ञान
शहीद कैप्टन रिपुदमन सिंह राजकीय महाविद्यालय ,सवाईमाधोपुर ,राज
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